क्यों जरूरत पड़ रही है हिन्दीं दिवस मनाने कि ये जताने क कि आज हिन्दी दिवस है आज हिन्दी का दिन है क्या हिन्दी का दर्जा कम हो गया है या हमने ये स्वीकार कर ल्या है कि हिन्दी उन ऊँचाईयों पर नहीं है जहाँ इसे होना चाहिये था अपने देश में ही हिन्दी अपने अस्तित्व के लिये लड़ रही है हम कोई न कोई बहाना बनाकर अंग्रजी को गले लगालते है और हिन्दी से हाथ छिटक देते है और अपनी ही भाषा को पराया कर देते है हम अंग्रेजों से तो आजाद हो गये पर अंग्रेजी के गुलाम हो गये और बही बने रहना चाहते है और होना भी चाहते है। और इस मानसिक गुलामी में न जान कब अपनी भाषा का अपनापन खो बैठेपता ही नहीं चला। पर ऐसा क्यों हुआ ऐसा कब से हुआ ये इसकी शुरूआत गुलाम भारत में अंग्रेजी शाशकों ने की गुलाम भारत में अंग्रेजी माध्यम क स्कूल खुलबाये बड़े और पैसे बाले लोगों से मित्रता की और जो गद्दार थे या उनके चाटुकार थे उनको धन से माला माल कर दीया कुछ लोग उन्हे शासक मान तो कुछ लोग चापलूसी में तो कुछ लोग उनके बिछाये जाल को अहसान मान कर उनकी बेषभूषा, चालढाल भाषा आदत का अनुसरण करने लगे उन्हें इन्हीं धनी और उच्च पद पर आसीन लोगों जो देखा देखी और लोग इनकी नकल करने लगे जब तक अंग्रेज भारत छोड़ते तब तक अंग्रेजी ने पैर जामा लिये थे । भारत आजाद हुआ अब यह सोने की चिड़ीया भी न रहा और धनी लोग तो पहले से ही आधे अंग्रेज हो चुके थे और यहाँ तो भेड़ चाल खूब चलती है तो और इस तरह हिन्दी अपनी व्यापकता खोती गयी और अंग्रेजी सैंध जमाती गयी पारुल शर्मा क्यों जरूरत पड़ रही है हिन्दीं दिवस मनाने कि ये जताने कि आज हिन्दी दिवस है आज हिन्दी का दिन है क्या हिन्दी का दर्जा कम हो गया है या हमने ये स्वीकार कर लिया है कि हिन्दी उन ऊँचाईयों पर नहीं है जहाँ इसे होना चाहिये था अपने देश में ही हिन्दी अपने अस्तित्व के लिये लड़ रही है हम कोई न कोई बहाना बनाकर अंग्रजी को गले लगा लते है और हिन्दी से हाथ छिटक देते है और अपनी ही भाषा को पराया कर देते है हम अंग्रेजों से तो आजाद हो गये पर अंग्रेजी के गुलाम हो गये और बही बने रहना चाहते है और होना भी चाहते है। और इस मानसिक गुलामी में न जान कब अपनी भाषा का अपनापन खो बैठे पता ही नहीं चला। पर ऐसा क्यों हुआ ऐसा कब से हुआ ये इसकी शुरूआत गुलाम भारत में अंग्रेजी शाशकों ने की। गुलाम भारत में अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खुलबाये बड़े और पैसे वाले लोगों से मित्रता की और जो गद्दार थे या उनके चाटुकार थे उनको धन से माला माल कर और उच्च पद दे दीया कुछ लोग उन्हे शासक मान तो कुछ लोग चापलूसी में तो कुछ लोग उनके बिछाये जाल को अहसान मान कर उनकी बेषभूषा, चाल ढाल भाषा आदत का अनुसरण करने लगे। और इन्हीं धनी और उच्च पद पर आसीन लोगों की देखा देखी और लोग इनकी नकल करने लगे जब तक अंग्रेज भारत छोड़ते तब तक अंग्रेजी ने पैर जामा लिये थे । भारत आजाद हुआ अब यह सोने की चिड़ीया भी न रहा और धनी लोग तो पहले से ही आधे अंग्रेज हो चुके थे और यहाँ तो भेड़ चाल खूब चलती है तो और इस तरह हिन्दी अपनी व्यापकता खोती गयी और अंग्रेजी सैंध जमाती गयी पारुल शर्मा #2liner #hindi #nojotohindi#nojoto#nojotoquotes#nojotoofficial#hindi#shayari#hindipoetry#poetry#sher#हिन्दीकविता#शेर#शायरी#कविता#रचना#h#kavishala#hindipoet#TST#Kalakash#Faiziqbalsay#motivation#kavi#kavishala#kavi# #कवि#life#शायर#कवि#life#जीवन #इश्क #मोहब्बत#प्यार#love#दिल#dil#pyar#ishq