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मन को पंख खोल उड़ने दो जाने दो अम्बर के पार,

मन को पंख खोल उड़ने  दो  जाने दो अम्बर  के पार,            
उन्मुक्त विचारों को वहने दो कहने दो कुछ दिल की बात।                                  

जब सुनकर आह भरेंगी आहें तब हाथ थम लेंगे हाथ,                                                                                          
कठिन रहा आसान बनेगीं जब होगा अपनों का  साथ।

प्यार के बंधन ,मन के मोती ,और भाव बने हीरों का हार,
नयन अश्रु की धारा  से वह कहते हों करुणा का सार।

जीवन पथ के संगी-साथी भूलो पर अपनी करें विचार,
तब उस को स्वीकार  करो जो  हृदय व्यक्त करे आभार। मन को पंख खोल उड़ने  दो  जाने दो अम्बर  के पार,            
उन्मुक्त विचारों को वहने दो कहने दो कुछ दिल की बात।                                  

जब सुनकर आह भरेंगी आहें तब हाथ थम लेंगे हाथ,                                                                                          
कठिन रहा आसान बनेगीं जब होगा अपनों का  साथ।

प्यार के बंधन ,मन के मोती ,और भाव बने हीरों का हार,
नयन अश्रु की धारा  से वह कहते हों करुणा का सार।
मन को पंख खोल उड़ने  दो  जाने दो अम्बर  के पार,            
उन्मुक्त विचारों को वहने दो कहने दो कुछ दिल की बात।                                  

जब सुनकर आह भरेंगी आहें तब हाथ थम लेंगे हाथ,                                                                                          
कठिन रहा आसान बनेगीं जब होगा अपनों का  साथ।

प्यार के बंधन ,मन के मोती ,और भाव बने हीरों का हार,
नयन अश्रु की धारा  से वह कहते हों करुणा का सार।

जीवन पथ के संगी-साथी भूलो पर अपनी करें विचार,
तब उस को स्वीकार  करो जो  हृदय व्यक्त करे आभार। मन को पंख खोल उड़ने  दो  जाने दो अम्बर  के पार,            
उन्मुक्त विचारों को वहने दो कहने दो कुछ दिल की बात।                                  

जब सुनकर आह भरेंगी आहें तब हाथ थम लेंगे हाथ,                                                                                          
कठिन रहा आसान बनेगीं जब होगा अपनों का  साथ।

प्यार के बंधन ,मन के मोती ,और भाव बने हीरों का हार,
नयन अश्रु की धारा  से वह कहते हों करुणा का सार।