.. कुछ अजनबी से चेहरे अपने लगे.. कुछ अजनबी से चेहरे देखो अपने लगे , पुराने उदास पड़े मेरे मुझे ही सपने लगे, मिला तो शुष्क मौसम में था हमसे कहीं, हमभी चाह की धूप से उसकी तपने लगे, हमारी दोस्ती के सब मुरीद है यहां जनाब, जैसे सरकारी अनाज दुकान से खपने लगे, हमारी दोस्ती देखिए बदनाम होती दिखी, तभी तो इश्तेहार इस तोहीन में छपने लगे, आज देखो नाम रौशन कर दिया जो हमने, वही लोग नाम यूँ प्रियांशु का ही जपने लगे। *: ℘ཞıყąŋʂɧų ʂɧąཞɱą :* .. © इक उम्र तक सोचा था कुदरत की रहमत हम पर होगी जीना चाहा था लेकिन दर्द के पहरे थे कहाॅ तलाश ख़तम हुई उस मोड की अभी भी दिल के दर्द अब भी गहरे हुए