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.. कुछ अजनबी से चेहरे अपने लगे.. कुछ अजनबी से चे

.. कुछ अजनबी से चेहरे अपने लगे.. 

कुछ अजनबी से चेहरे देखो अपने लगे ,
पुराने उदास पड़े मेरे मुझे ही सपने लगे, 

मिला तो शुष्क मौसम में था हमसे कहीं,
हमभी चाह की धूप से उसकी तपने लगे,

हमारी दोस्ती के सब मुरीद है यहां जनाब, 
जैसे सरकारी अनाज दुकान से खपने लगे, 

हमारी दोस्ती देखिए बदनाम होती दिखी,
तभी तो इश्तेहार इस तोहीन में छपने लगे,

आज देखो नाम रौशन कर दिया जो हमने,
वही लोग नाम यूँ प्रियांशु का ही जपने लगे।

*: ℘ཞıყąŋʂɧų ʂɧąཞɱą :*













..

©Priyanshu Sharma इक उम्र तक सोचा था 
कुदरत की रहमत हम पर होगी 
जीना चाहा था लेकिन दर्द के पहरे थे
कहाॅ तलाश ख़तम हुई 
उस मोड की अभी भी
दिल के दर्द अब भी गहरे हुए

Anshu writer
.. कुछ अजनबी से चेहरे अपने लगे.. 

कुछ अजनबी से चेहरे देखो अपने लगे ,
पुराने उदास पड़े मेरे मुझे ही सपने लगे, 

मिला तो शुष्क मौसम में था हमसे कहीं,
हमभी चाह की धूप से उसकी तपने लगे,

हमारी दोस्ती के सब मुरीद है यहां जनाब, 
जैसे सरकारी अनाज दुकान से खपने लगे, 

हमारी दोस्ती देखिए बदनाम होती दिखी,
तभी तो इश्तेहार इस तोहीन में छपने लगे,

आज देखो नाम रौशन कर दिया जो हमने,
वही लोग नाम यूँ प्रियांशु का ही जपने लगे।

*: ℘ཞıყąŋʂɧų ʂɧąཞɱą :*













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©Priyanshu Sharma इक उम्र तक सोचा था 
कुदरत की रहमत हम पर होगी 
जीना चाहा था लेकिन दर्द के पहरे थे
कहाॅ तलाश ख़तम हुई 
उस मोड की अभी भी
दिल के दर्द अब भी गहरे हुए

Anshu writer

इक उम्र तक सोचा था कुदरत की रहमत हम पर होगी जीना चाहा था लेकिन दर्द के पहरे थे कहाॅ तलाश ख़तम हुई उस मोड की अभी भी दिल के दर्द अब भी गहरे हुए @Anshu writer #together #शायरी