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       गोरा भी काला हो  झूठा जयकारा हो, सीतल जल

      


गोरा भी काला हो  झूठा जयकारा हो,

सीतल जल सरिता का सागर सा खारा  हो।

खुशियां भी नक़ली हैं आंसू भी दिखाने को,

कमियां होती सब में चेहरा ही सुनहरा हो।


कवि राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय

चित्रकूट ( उत्तर प्रदेश)

©Rajendra Prasad Pandey Kavi
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