आ रही है यादे दिल तक,दिल कि ये गुस्ताखी है। दूंगा ऐसी सज़ा इसे,ना जिसकी कोई माफी है।। ना इसको दीदार मिले,ऐसी रहमत कर दूंगा। मरे दुवाएं कर के ये दिल,हो दीदार ये काफी है। दूंगा ऐसी सज़ा इसे,ना जिसकी कोई माफी है।। इसे वफ़ा की उम्मीदे है,रुसवाई की सोहबत में। रो रो दिल ये कहे खुदा से,कैसी ना इंसाफी है।। दूंगा ऐसी सज़ा इसे,ना जिसकी कोई माफी है।। याद घुटन मैं कर दूंगा,ये आनन्द घुट के मरे सदा। ना मिले कफ़न ना सनम मिले,मौत मिले ये काफी है।। दूंगा ऐसी सज़ा इसे,ना जिसकी कोई माफी है।। ©Anand Singh Paliwal #dunga #aisi #saza #ese #Mai