देखें हैं सपने हज़ारो जो इन रातों में, कोशिश तुमने की है करने की पीछे अपने बातों में, मोहब्बत के बातों से खुद के सपने मैं छीन लाया, यूं बैठे-बैठे मुझको न तू समझ पाया, जान-जहां लगा के इन सपनो को मैने पाला है, देख तेरी बातों को कैसे मैंने खंगाला है, जख्म भरी जिंदगी को मैंने जैसे अपनाया है, बातों के सिवा क्या तू खुद के सपने बनाया है, ज़िन्दगी गुज़र जाती इन सपनो को बनाने में, पीछे मुड़ के देखा लगे थे सपने सजाने में लौट मेरे भाई इन नफरतों के जाल से, खुद को बचाले बिकते सपने इन बाज़ार से। #yqdidi #yqbaba #ballia #motivation #achievement #pk_poetry