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Prashant Kumar
घमंड पाला है अगर, खुद खोखला बन जायेगा, मुहब्बत से मैंने हाथ मिलाई, जल के राख बन तू उड़ जाएगा। उम्मीदों में रखी है गर नफ़रतें, क्या ईजाद उसे कर पायेगा, इस ज़ालिम सी निगाहों में, तू खुद से कोसो दूर चला जायेगा। मुझे गिराने की जो कोशिशें है, तू फिर भी गिरा न पायेगा, संभल कर मैंने पांव है रखे, तू कभी न मुझे समझ पायेगा। #yqdidi #yqbaba #pk_poetry #ballia #fakepeople #alwida
Prashant Kumar
मैं डरा हुआ था, माहौल शायद मरा हुआ था। देखा जब इधर-उधर, ज़िंदा लाशें पड़ा हुआ था। सोच रहा था मैं, खुद के अंग खरोंच रहा था मैं। भीड़ वध करने पास जब आयी, बेगुनाहों को रोक रहा था मैं। पकड़ झुंड हिंसा कर रही थी, गलती क्या ये न समझ रही थी। भक्त थे क्या लेकिन राम नाम क्यों घसीटे, वो नारे थी लेकिन डरा रही थी। सड़के जाम मतवाली थी, बस भीडतंत्र और खाली थी। बंधे हाथ थे प्रशासन के, आखिर किस शासन की शासक थी। #moblynching #godimedia #fakepeople #fakegovernment #andhbhakt #politicians #government #pk_poetry
Prashant Kumar
देखें हैं सपने हज़ारो जो इन रातों में, कोशिश तुमने की है करने की पीछे अपने बातों में, मोहब्बत के बातों से खुद के सपने मैं छीन लाया, यूं बैठे-बैठे मुझको न तू समझ पाया, जान-जहां लगा के इन सपनो को मैने पाला है, देख तेरी बातों को कैसे मैंने खंगाला है, जख्म भरी जिंदगी को मैंने जैसे अपनाया है, बातों के सिवा क्या तू खुद के सपने बनाया है, ज़िन्दगी गुज़र जाती इन सपनो को बनाने में, पीछे मुड़ के देखा लगे थे सपने सजाने में लौट मेरे भाई इन नफरतों के जाल से, खुद को बचाले बिकते सपने इन बाज़ार से। #yqdidi #yqbaba #ballia #motivation #achievement #pk_poetry
Prashant Kumar
नाराज़गी है मुझे आज, तुमसे नही, खुद से, लड़ना चाहता हूँ आज, तुमसे नही, खुद से, जुड़ना चाहता हूँ आज, तुमसे नही, खुद से, ये बेबाक लफ़्ज़ों की बोली, अपने कानों तक रखना चाहता, क्योंकि बिछड़ना पड़ता है, तुमसे नही, खुद से, घृणा, द्वेष, नफरत, पनप रही गर, मिटा देना चाहता हूँ आज, तुमसे नही, खुद से। #broken #sorry #imnotbad #feelingisright #yqdidi #yqbaba #pk_poetry
Prashant Kumar
ख्वाबों में आना चाहता तुम्हारे, सांसो से जीना चाहता तुम्हारे, धड़कन बन जाना चाहता तुम्हारे, ये सिर्फ चाहता नही है मेरी, तुम इसे यूं प्यार समझ लेना। ये साथ पाना चाहता तुम्हारे, दिल को मिलाना चाहता तुम्हारे, कमी को पूरी करना चाहता तुम्हारे, ये सिर्फ चाहत नही है मेरी, तुम इसे यूं प्यार समझ लेना। नाराज़गी को मिटाना चाहता तुम्हारे, खुशी से भरना चाहता दिल तुम्हारे, गले लगा खामी भुलाना चाहता तुम्हारे, ये सिर्फ चाहत नही है मेरी, तुम इसे यूं प्यार समझ लेना। लबों पे आजादी देखना चाहता तुम्हारे, लिखी पंक्तियों का हिस्सा होना चाहता तुम्हारे, हां रहना चाहता दिल में तुम्हारे, ये सिर्फ चाहता नही है मेरी, तुम इसे यूं प्यार समझ लेना। #yqlove #beautifulperson #yqdidi #yqbaba #highlight #pk_poetry
Prashant Kumar
. — % & आज संदेश आया है योर कोट्स परिवार की तरफ से...❤️ #yqdidi #yqbaba #yqcertificate #up #ballia #belthararoad #up60
Prashant Kumar
चाहत है मुझे भी तुम्हारी, पंक्तियों का हिस्सा होने की, पर साथ हो ले करें, इंतेज़ार कोई किस्सा होने की। की ज़रूरी तो नही कि, ये इश्क रहे उम्र भर हमारी, पर उम्र में एक बार हो ले, ज़रूरत है ये इश्क होने की। इस मोहब्बत के रास्तों में कहीं, शरारतें, गुस्ताखियां, लड़ाइयां होंगी, पर इश्क़ का ये दौर होगा, चाहत इन्हें भी होगी माफ होने की। और कुछ यूं गर चले गए तुम, तो मोहब्बत भी खत्म समझ लेना, क्योंकि इश्क़ ज़रूरी तो है, लेकिन नही है उम्र भर होने की। पर हां! चाहत मुझे बहुत है, तुम्हारे किस्से का किरदार बनने की, उन पंक्तियों में ज़रूर करना, जिक्र हमारे साथ होने की। पसंद आये तो "highlight" ज़रूर करें. #ballia #yqdidi #pk_poetry
Prashant Kumar
आज फिर शाम हुआ कल की तरह ही निकल पड़ा हूँ अपने घर से उस घर की तरफ जो रोज़ रोज़ मेरे रास्ते में मेरे निगाहों को अपनी ओर खींचता है लेकिन घर के दरवाजे और सबसे ऊपरी छत पूरी सुनसान सी है। शायद कभी किसी शाम मैं निकलूँ घर से उस घर की तरफ कोई शख्स दिख जाए वहां फिर न जाना चाहूं उस रास्ते। लेकिन नहीं मुझे रोज़ देखना है कोई शख्स नही बल्कि हर शाम वो रास्ते उसी निगाहों को साथ लिए उस घर की तरफ ले जाना है ताकि फिर वो दरवाजें और सबसे ऊपरी छत सुनसान दिखे। #please_highlight_this #pk_poetry
Prashant Kumar
किरदार तुम्हारा था, बस लफ्ज़ हमारे थे। वक्त तुम्हारा था, बस साथ हमारे थे। पहचान तुम्हारा था, बस नाम हमारे थे। बात तुम्हारा था, बस कागज हमारे थे। कर्म तुम्हारा था, बस हालात हमारे थे। ज़िंदादिली तुम्हारा था, बस मरे लोग हमारे थे। #highlight #collabwithme #belthararoad #ballia #government #fakegovernment #godimedia #pk_poetry
Prashant Kumar
एक रात थी जिसमें उजाले थे, आज दिन में भी अंधेरा है। जीवन पड़ी है अस्त-व्यस्त सी, पर देखना सभी को सवेरा है। बिखरे पड़े हैं सारे परिवार, साथ यादें थी वो जल रही आज। हैं कितने आंकड़े जो जल चुके हैं, सत्ता ने बना दी है जिसे राज। है वक्त अभी वो गुज़र जाएगा, इंतेज़ार कर सब ठहर जाएगा। ये पड़ी अंधियारी थोड़ी भयावह है, आएगा उजाला जो लहर लाएगा। If you like this Poem so please Highlight this.🙏😑 #covid19 #cornavirus #corona #government #needhelp #life #pk_poetry