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मरता हूँ तुम पे, इस नज़र ए हिकारत से देखना छोड़ो,

मरता हूँ तुम पे, इस नज़र ए हिकारत से देखना छोड़ो, 
और मेरे जज़्बातों को रौंदने से पहले एक मर्तबा सोचो! 
आंसुओं में डूब जाओगे बार बार याद कर सुलूक अपना, 
कहीं जो परवरदिगार ने तुम्हें मेरे ही लिए बनाया हो तो?

©Shubhro K
  #01Aug2022
shubhrokdedas6046

Shubhro K

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#01Aug2022

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