Nojoto: Largest Storytelling Platform

हमारे देश की संस्कृति शास्त्रार्थ की संस्कृति है।

हमारे देश की संस्कृति शास्त्रार्थ की संस्कृति है। शक्ति की आसक्ति ने श्रद्धा के नाम पर किसी भी विचार-विमर्श की संभावना को समाप्त कर दिया और हमें उस बिंदु पर पहुँचा दिया कि जो धर्म कभी सद् मार्ग को चिन्हित् करता था, आज किसी भी बौद्धिक या आध्यात्मिक चिंतन के पूर्ण विराम का पर्याय बनता जा रहा है। तर्करहित अमानवीय अनुकरण कट्टरता को जन्म देता है जो कहीं भी किसी भी रूप में निंदनीय भी है और भयावह भी।  धर्म वही है जो सही है, तर्कसंगत है, मानवीय है।
सत्यमेव जयते।
-सरिता मलिक बेरवाल

©Sarita Malik Berwal
  #धर्म