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कोई ख़ुशबू बदलती रही कोई तस्वीर गाती रही फिर सब


कोई ख़ुशबू बदलती रही  
कोई तस्वीर गाती रही
फिर सबा साया-ए-शाख़-ए-गुल के तले 
दिल कोई क़िस्सा रात भर सुनाता रहा
दिल उम्मीद से रात भर बहलता रहा
आयेगा जरुर वो कहलाता रहा
चाहत होती तो निभा भी सकते थे
मजबूरी का राग बेकार गाता रहा
बात बात पे तेज़ होती है धड़कनें
बहुत दिल को मैंने समझाया 
इतने संगदिल होना भी अच्छा नहीं
याद तेरी में सब कुछ भुलाया रहे
नींद में भी करवटें हम बदलते रहे
शायद सपनों में तू था आया रहा
इश्क़ का इक ज़ख्म नुमाया रहा

©Sharmila'S Diary
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