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फूल रिश्तो के मोहब्बत के चमन छोड़ गए, कितने मजबूर

फूल रिश्तो के मोहब्बत के चमन छोड़ गए,
कितने मजबूर थे जो अपना वतन छोड़ गए !

अब तबस्सुम के लिए हम को तरसना होगा,
हादसे वक्त के माथे पर शिकन छोड़ गए !

आने वालों के लिए रात कयामत होगी,
कारवां शाम के दामन में थकान छोड़ गए !

मेरे विरसे में ना दौलत है ना जागीर कोई,
मेरे अजदाद जमाने में चलन छोड़ गए !

मेरे हस्सास तबीयत का असर है आसिफ़,
फ़ूल कांटे तो ना थे फ़िर भी चुभन छोड़ गए !

©Asif Hindustani Official
  फूल रिश्तो के मोहब्बत के चमन छोड़ गए,
कितने मजबूर थे जो अपना वतन छोड़ गए !


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