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आज गुज़रे हुए वक़्त से मुलाक़ात की, थके हुए वजूद से ब

आज गुज़रे हुए वक़्त से मुलाक़ात की,
थके हुए वजूद से बात की।
उम्मीदों ने घेर रखा था दिल को दुख के जाल में,
खुशियाँ तो मेरी सारी मेरे ही हाथ थी।
रविकुमार आज गुज़रे हुए वक़्त से मुलाक़ात की,
थके हुए वजूद से बात की।
उम्मीदों ने घेर रखा था दिल को दुख के जाल में,
खुशियाँ तो मेरी सारी मेरे ही हाथ थी।
रविकुमार
आज गुज़रे हुए वक़्त से मुलाक़ात की,
थके हुए वजूद से बात की।
उम्मीदों ने घेर रखा था दिल को दुख के जाल में,
खुशियाँ तो मेरी सारी मेरे ही हाथ थी।
रविकुमार आज गुज़रे हुए वक़्त से मुलाक़ात की,
थके हुए वजूद से बात की।
उम्मीदों ने घेर रखा था दिल को दुख के जाल में,
खुशियाँ तो मेरी सारी मेरे ही हाथ थी।
रविकुमार

आज गुज़रे हुए वक़्त से मुलाक़ात की, थके हुए वजूद से बात की। उम्मीदों ने घेर रखा था दिल को दुख के जाल में, खुशियाँ तो मेरी सारी मेरे ही हाथ थी। रविकुमार