जीवन की इस उम्र में ख़्वाहिश है; तेरा हाथ पकड़कर मैं भी चल सकूँ चार क़दम उन रास्तों पर, जिन रास्तों पर बच्चपन में तुम अपने पापा के साथ चला करती थी । मेरी Lifeline ❤️, Gulabo— % & #ankit_srivastava_thoughts