" उन्हें कुछ भले ही याद ना होगा, उनकी यादें मुझे किस तरह बर्बाद कर रही है, कभी शौंक था जुनून था तेरी चाहतों का, आज याद डुबी में तेरी रुबाई किस तरह बर्बाद कर रही हैं, कभी नशा था तेरे प्यार का, आज फिर वही यादें और रुसवाई तबाह कर रही हैं. " --- रबिन्द्र राम " उन्हें कुछ भले ही याद ना होगा, उनकी यादें मुझे किस तरह बर्बाद कर रही है, कभी शौंक था जुनून था तेरी चाहतों का, आज याद डुबी में तेरी रुबाई किस तरह बर्बाद कर रही हैं, कभी नशा था तेरे प्यार का, आज फिर वही यादें और रुसवाई तबाह कर रही हैं. "