दुनिया के सारे कामों को हमने अब तक जान लिया है। और कई हुनरों को हमने खुद में पहचान लिया है। पर हमको अब तक अपना हुनर मिला नहीं है। कई हुनर सीख न पाए बाकी हममें खिला नहीं है। खोजा था और खोज रहे हैं इसको पर अब भी ढूंढ रहे हैं इसको हम अपने अंदर दिल की आवाज को बड़ा मौका मिला नहीं है। दिल के बगीचे में ऐसा एक फूल खिला नहीं है। humko ab tk apna hunar Mila nhi h