ता-उम्र तेरी राह तक लेंगे.. पहला और आखिरी पन्ना जो हो तुम! मेरी ज़िन्दगी की... तुझको अल्फ़ाज़ बनाकर आहिस्ते से पढ़ लेंगे... बरसती बूंदें हो तुम उस पहली बारिश की... मैं बंजर ज़मीन इस धूप में जलता... ता-उम्र तेरी राह तक लेंगे... ना छूना चाहो तो भी कोई ग़म नहीं... तुझको अपनी हथेली से अंजली बना कर रख लेंगे... महक हो तुम उस सुबह की कुमुदिनी की... सांसों में भर तुझको अपनी अहसास बना लेंगे... गिरा कर अपने आंसुओं की बूंद को... लहरों को उसकी औकात दिखा देंगे॥ रेत पर लिखे तेरे नाम को ऐसे ही मिटने ना देंगे... ता-उम्र तेरी राह तक लेंगे... शिकायत होगी उस चांद सितारे को मुझसे... जब तेरी चमक से उसको बेचैन कर देंगे... वो क्या गुरुर दिखाएगा अपनी रौशनी का... जब तेरी चुन्नी से ढक उसकी चमक को दफ़ना देंगे... जो ना आई तू तो तेरी खुशबू चुरा कर अपने गुलशन में बिखेर देंगे.. बनकर बाग़बान तुझको गुलदस्ते में सजा लेंगे... लगाकर तेरा रेशमी रुमाल उसको अपना जिस्म बना लेंगे... मना कर उस खुदा को तुझको अपनी किस्मत में लिखवा लेंगे... ना कर सके तो भी कोई ग़म नहीं... ता-उम्र तेरी राह तक लेंगे॥ नवनीत रंजन (NKR) #taaumr#nkr