आओ फ़िर नदी किनारे बैठें शिकवे-शिकायतों से दूर, आओ फ़िर नदी किनारे बैठें वो झूठे वादे भूल, आओ फ़िर नदी किनारे बैठें कुछ तुम कहना, हम कुछ नहीं कहेंगे, आओ फ़िर नदी किनारे बैठें ग़र तुझको हो अपनी नादानी का एहसास, हम चुप रहेंगे, आओ फ़िर नदी किनारे बैठें #poem