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बूंद बूंद बरखा है बरसती, तभी तो सागर भरता है। पिरो

बूंद बूंद बरखा है बरसती,
तभी तो सागर भरता है।
पिरो कर एक एक मोती,
मनोहारी हार सजता है।

©Amit Singhal "Aseemit"
  #मनोहारी