एकबार मय से भरी हुई प्याली से ....मैं पूछ ही बैठा ....जिंदगी क्या है ? प्याली ने मेरी पकड़ से आज़ादी ली और फर्श पर उसकी बिखरी हुई अस्थियो ने मेरे प्रश्न का सटीक. उत्तर दे दिया था क्षणभंगुरता