छोटी थी नन्ही सी, वो ज़िंदगी थी नर्मी सी धूल उड़ी धुँआ हुआ, फिर भी क्यो बेशर्मी सी? लगा नज़ारे लूट कर, ले जाके आला करदोगे तस्वीरों के उजियारों में, चाँदनी भी ज़ख़्मी सी। पत्थर से हम को मार दिया, धड़ ने भी चित्कार किया उस पेशानी पे लिख देना, गुमनामी उसकी पत्नि थी। अब जग सारा छू के सदको को, पागल सा हो जाएगा बस एक बार तुम भी छू लो, बन जाऊं में भी अपनी सी। #dharmuvach✍️ OPEN FOR COLLAB✨ #ATज़िन्दगीछोटीहै • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ♥️ Collab with your beautiful words.✨ Transliteration: Zindagi bahut choti hai (Life is too small)