पहले मैं तेरी आदत पालूँगा, फिर तुझे इस दिल से निकालूँगा.. जो भी आया इस दिल से खेल गया, इस खेल में अब खुद को सँवारूँगा.. कितनी अनगिनत जीती बाजी हार दी मैंने, अब किसी की खुशियों के लिये न हारूँगा.. वो पत्थर ही क्या जो रस्तो में ठोकर न मारे, अपने रस्ते के पत्थर को और तराशूँगा.. तेरा नाम कहीं मैं भूल न जाऊँ, इस डर से तेरे नाम का कुत्ता पालूँगा.. न जाने क्यूँ तू हवा में उड़ा करता है 'अभिषेक', लाकर जमीं पर तुझे तेरे औकात में उतारूँगा.. #kaafir