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कई आदते बचपन की बूढ़ापे तक खींची चली आती हैं आज भी

कई आदते बचपन की बूढ़ापे तक खींची  चली आती हैं
आज भी एक बूढ़ा माल मे जाकर सज़ी हुई दुकानों को
हसरत भरी नीगाहो से देखता  हैं

जो कल तक अमीरो क़ि फेहरिस्त  मे सबसे आगे बज़ार आता था
आज वही शख्स गली गली  भीख मांगता  हुआ  दिखता ह

©Parasram Arora
  हसरत.

हसरत. #कविता

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