मृत्यु कहाँ अंत है बंधु, ये तो एक छलावा है स्वाभिमान रहित व्यक्ति मरने से पहले मरता है कर्म प्रधान विश्व है कर्मठ, कर्मों की सब खाते हैं कर्महीन व्यक्ति पल पल, कुंठा अग्नि में जलता है सुप्रभात। स्वाभिमान न डिगने पाए, जीवन ऐसे जीते जाएँ… #स्वाभिमान #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi