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हर पर एक इल्लाम आया , न समझी हूँ अब तक मै , किस

हर पर एक  इल्लाम आया , 
न समझी हूँ अब तक मै , 
किसी ने बताया , इस लिये अब,
 समझ को ठिकाने लगाया , 
ढलूँ रंग तेरे ,चलूँ संग तेरे, 
तू चाहे है मुझमे जो-जो भी देना, 
तेरे ही सामर्थ्य से अब है लेना, 
यह बदलाब मेरा नही जान ले तू, 
जो हूँ तेरे अन्दर वही मान ले तू |
सूफीयाना 

-Ruchi Dixit

©Ruchi dixit सूफियाना " इश्क"
#roseday
हर पर एक  इल्लाम आया , 
न समझी हूँ अब तक मै , 
किसी ने बताया , इस लिये अब,
 समझ को ठिकाने लगाया , 
ढलूँ रंग तेरे ,चलूँ संग तेरे, 
तू चाहे है मुझमे जो-जो भी देना, 
तेरे ही सामर्थ्य से अब है लेना, 
यह बदलाब मेरा नही जान ले तू, 
जो हूँ तेरे अन्दर वही मान ले तू |
सूफीयाना 

-Ruchi Dixit

©Ruchi dixit सूफियाना " इश्क"
#roseday
ruchidixit2096

Ruchi dixit

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सूफियाना " इश्क" #roseday #कविता