मां मां ममता की छत्रछाया । मां बिना सारा जग पराया ।। कठिनाइयां सामने जब आया । लब्जों पर बस मां ही पाया ।। जीवन के इस घोर संग्राम में । मां ने चलना हमें सिखाया ।। मां हर रिश्ते की मुकम्मल चेहरा । इसके बिना ना होता किसी का सवेरा ।। इस धरा में जब से हूं आया । मां के उपकारों का ऋण सर पाया ।। इस जग में मां से ,अति न अन्य त्यागे । बसा है इनमें ही कैलाश और काबे ।। #मांँ