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मां मां ममता की छत्रछाया । मां बिना सारा ज

       मां 
मां ममता की छत्रछाया ।
मां बिना सारा जग पराया ।।
कठिनाइयां सामने जब आया ।
लब्जों पर बस मां ही पाया ।।
जीवन के इस घोर संग्राम में ।
मां ने चलना हमें सिखाया ।।
मां हर रिश्ते की मुकम्मल चेहरा ।
इसके बिना ना होता किसी का सवेरा ।।
इस धरा में जब से हूं आया ।
मां के उपकारों का ऋण सर पाया ।।
इस जग में मां से ,अति न अन्य त्यागे ।
बसा है इनमें ही कैलाश और काबे ।। #मांँ
       मां 
मां ममता की छत्रछाया ।
मां बिना सारा जग पराया ।।
कठिनाइयां सामने जब आया ।
लब्जों पर बस मां ही पाया ।।
जीवन के इस घोर संग्राम में ।
मां ने चलना हमें सिखाया ।।
मां हर रिश्ते की मुकम्मल चेहरा ।
इसके बिना ना होता किसी का सवेरा ।।
इस धरा में जब से हूं आया ।
मां के उपकारों का ऋण सर पाया ।।
इस जग में मां से ,अति न अन्य त्यागे ।
बसा है इनमें ही कैलाश और काबे ।। #मांँ