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#मांँ क्या लिखूं उसकी कहानी कैसे बयां करूं शब्दों में.. ..उसके 9 महीने हर रात एक- एक दिन की कुर्बानी । जिसने धर्म ,जाति छोड़ा दुनिया के सारे दिखावे छोड़े ...मन्नत मांगी भगवान से खुदा से मांगी दुआ मेरे लिए क्या लिखूं उसकी कहानी जिसकी हर कहानी में मैं और सिर्फ मैं ही हूं और किस शब्दों में बयां करूं उस रिश्ते को जो फरिश्ता मांँ है ©. #MothersDay #SuperMom #superMom❤
Uttam Dixit
मुरझाया-सा चेहरा मेरा, खुशियों से खिल जाता है, जख़्म कोई कैसा भी हो, खुदसे ही सिल जाता है, मैं जब भी माँ के आँचल की छाँव में रहता हूँ, सच कहता हूँ हर ग़म मेरा, मिट्टी में मिल जाता है..!! हर एक #मांँ को समर्पित.....💐💐 #udquotes #udshayari #जख्म #आँचल #ग़म #मिट्टी
Uttam Dixit
मुरझाया-सा चेहरा मेरा, खुशियों से खिल जाता है, जख़्म कोई कैसा भी हो, खुदसे ही सिल जाता है, मैं जब भी माँ के आँचल की छाँव में रहता हूँ, सच कहता हूँ हर ग़म मेरा, मिट्टी में मिल जाता है..!! हर एक #मांँ को समर्पित.....💐💐 #udquotes #udshayari #जख्म #आँचल #ग़म #मिट्टी
Sonal Panwar
Pk Pankaj
मां मां ममता की छत्रछाया । मां बिना सारा जग पराया ।। कठिनाइयां सामने जब आया । लब्जों पर बस मां ही पाया ।। जीवन के इस घोर संग्राम में । मां ने चलना हमें सिखाया ।। मां हर रिश्ते की मुकम्मल चेहरा । इसके बिना ना होता किसी का सवेरा ।। इस धरा में जब से हूं आया । मां के उपकारों का ऋण सर पाया ।। इस जग में मां से ,अति न अन्य त्यागे । बसा है इनमें ही कैलाश और काबे ।। #मांँ
amar gupta
समर्पण - (एक लघु कथा) (अनुशीर्षक में पढ़े) जब मैं बहुत छोटी थी तब अक्सर हमारे पूरे मोहल्ले की बिजली चली जाती थी। ग्रीष्म की तपती रातों में बिना पंखे के मेरी नींद टूट जाती और पसीने से लत-पत रोती हुई मैं उठ जाती थी। फिर माँ आकर अपनी गोद में ले लेती थी और हम बरांदे में कुर्सी पर बैठे-बैठे अंधकार में ज्ञान का दीपक जलाने की कोशिश में लग जाते थे। माँ मुझे पंखा झलते-झलते तरह-तरह की कहानियां सुनाती थी। सियार, शेर, खरगोश, राजा, छछूंदर, आदि। उन कहानियों में मेरी पूरी दुनिया थी। वह साधारण सी कहानियों में वह असाधारण सा प्रेम, विश्वास एवं स
Shruti Gupta
समर्पण - (एक लघु कथा) (अनुशीर्षक में पढ़े) जब मैं बहुत छोटी थी तब अक्सर हमारे पूरे मोहल्ले की बिजली चली जाती थी। ग्रीष्म की तपती रातों में बिना पंखे के मेरी नींद टूट जाती और पसीने से लत-पत रोती हुई मैं उठ जाती थी। फिर माँ आकर अपनी गोद में ले लेती थी और हम बरांदे में कुर्सी पर बैठे-बैठे अंधकार में ज्ञान का दीपक जलाने की कोशिश में लग जाते थे। माँ मुझे पंखा झलते-झलते तरह-तरह की कहानियां सुनाती थी। सियार, शेर, खरगोश, राजा, छछूंदर, आदि। उन कहानियों में मेरी पूरी दुनिया थी। वह साधारण सी कहानियों में वह असाधारण सा प्रेम, विश्वास एवं स
yogesh atmaram ambawale
एक कविता तुम्हारे लिए लिखना चाहता हूं,माँ.. कितने करती है तू कष्ट,कागज पे उतारना चाहता हूं, माँ| बयां करना मुश्किल है,फिर भी कोशिश करना चाहता हूं,माँ.. एक कविता तुम्हारे लिए लिखना चाहता हूं,माँ| सारे जगत में सबसे प्यारी तू,सभी को बताना चाहता हूं,माँ.. तुझसे बढ़कर कुछ न मेरे लिए,दुनियां को दिखाना चाहता हूं,माँ| मेरे खून का एक एक कतरा,तेरा कर्जदार है,इतना जान ले,माँ.. एक कविता तुम्हारे लिए लिखना चाहता हूं,माँ| पूजता हूं सभी भगवंत,पर पहले तुझे पूजता हूं,माँ.. हर देवी की भक्तिमय पूजा में,तू अग्रस्थान पर हैं,माँ| तकलीफे न जाने कितनी सहे,ऐ तू कब बताती है,माँ.. एक कविता तुम्हारे लिए लिखना चाहता हूं,माँ| नौ महीने मुझे पेट में संभाला,बहुत पीड़ा सही तूने,माँ.. बचपन से लेकर अब तक,मेरी हर ख्वाईश तूने पूरी की,माँ| कर्जदार मैं तेरे दूध का,तेरे लिए हर फर्ज़ निभाना चाहता हूं,माँ.. एक कविता तुम्हारे लिए लिखना चाहता हूं,माँ| हर बुरे समय में शक्ति प्रदान करें,वो तेरा आशीर्वाद है,माँ.. क्यों घुमू चारों धाम मैं,जब तेरे कदमों में ही स्वर्ग है,माँ| दुनियां में मेरे लिए सबसे खूबसूरत कुछ हैं तो वो तू हैं,माँ.. एक कविता तुम्हारे लिए लिखना चाहता हूं,माँ| एक ख़ूबसूरत #collab Rest Zone की ओर से। #कवितातुम्हारेलिए #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #मांँ #yqdidi एक कविता तुम्हारे लिए लिखना चाहता हूं,माँ.. कितने करती है तू कष्ट, कागज पे उतारना चाहता हूं, माँ| बयां करना मुश्किल है,
Anamika
झड़प कर अपने जिगर को खुद रूआंसी हो जाती है.. हां मां ऐसी ही होती है। #मांँ#मेरेशैतान #मांतोमांहोतीहै #योरकोटमां #तूलिका