जुबां बंद रखी ख्याल तेरा कोई तंग सा चाय ठंडी सी और माहौल मेरा तंग सा भिनसार में खुद को कोसते-सोचते रहे तूने जो आज न पूछा हाल मेरा तंग सा | क्या बिस्तर क्या चादर क्या तकिया फिर सब इधर - उधर बिखरा पड़ा मैंने तमन्ना की जिस सामान की फिर ऐसा कोई सामान ना मिला ढंग का मनमर्जियां मत कर मेरा हाल तो देख दीवार पर लिखा हर्फ़ कितना तंग सा फिर तू थी मौजूद तेरे सोने के बाद भी तू मेरी बाहों में और मैं फकीर नंग सा मैं तकिये से लिपटा रहा अनजान बेचैनी में मुझे सुकून मिला हाल जानकर तेरे मन का तेरी तबीयत है नासाज मुझे मालूम था कल आज भी बता देती तो बोझ हल्का होता मन का | जुबां बंद रखी ख्याल तेरा कोई तंग सा चाय ठंडी सी और माहौल मेरा तंग सा भिनसार में खुद को कोसते-सोचते रहे तूने जो आज न पूछा हाल मेरा तंग सा | क्या बिस्तर क्या चादर क्या तकिया फिर सब इधर - उधर बिखरा पड़ा