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बात झूठी कि संसार है साथ में, और भी झूठ,परिवार है


बात झूठी कि संसार है साथ में,
और भी झूठ,परिवार है साथ में।

मीत मन का मिला जिनको अब तक नहीं,
कैसे बोलेंगे वह प्यार है साथ में।

साथ में मीत! मेरे ग़ज़ल-गीत हैं,
पढ़ने-लिखने का आधार है साथ में।

मन में है रिक्तता तन में है रिक्तता,
किन्तु विश्वास,करतार है साथ में।

ज़िन्दगी यह 'सरस' हमको दी ईश ने,
उसके प्रति दिल से आभार है साथ में।।

©सतीश तिवारी 'सरस' 
  #ज़ज़्बात