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अंधेरी रातों को रोशन करने वाला चांद हो तुम.. बहती

अंधेरी रातों को रोशन करने वाला चांद हो तुम..
बहती नदियों के प्रवाह को रोकने वाला बांध हो तुम..
और सौंदर्य की ज्वाला नही ज्वार हो तुम..
धीरे धीरे मजबूत होता मन का लगाव हो तुम..

©Rajendra Jakhad
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