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साहित्य और काव्य के चारागाह मे खूब चरता रह

साहित्य  और  काव्य  के  चारागाह  मे 
खूब  चरता  रहा हूं  और  करता  रहा  हूं 
जुगाली  उस  चबी  हुईं  घास  की  
वो भी  धीमी  गति  से 
ताकि  स्पंदित   संवेदनशिलता  से  मन मेरा 
बहलता  रहे . और  भावपूर्ण  मुद्राये  ह्रदय  मे  
करवट  लेती  रहे 
मै नहीं जानता  कि  मै  इस  चारागाह  का  बंदी हूं 
या  ये  चारागाह.. मुझमे  बंधक  बन कर   रह  रहा हैँ साहित्य  और  काव्य का  चारागाह
साहित्य  और  काव्य  के  चारागाह  मे 
खूब  चरता  रहा हूं  और  करता  रहा  हूं 
जुगाली  उस  चबी  हुईं  घास  की  
वो भी  धीमी  गति  से 
ताकि  स्पंदित   संवेदनशिलता  से  मन मेरा 
बहलता  रहे . और  भावपूर्ण  मुद्राये  ह्रदय  मे  
करवट  लेती  रहे 
मै नहीं जानता  कि  मै  इस  चारागाह  का  बंदी हूं 
या  ये  चारागाह.. मुझमे  बंधक  बन कर   रह  रहा हैँ साहित्य  और  काव्य का  चारागाह

साहित्य और काव्य का चारागाह