ऐ मेरे हमनवां मेरा न मुझमें कुछ कामिल हैं, जब से हुई हैं तुम से गुफ़्फ़तगु ये दिल ए मेरे हमनशीं बस तुझमें ही शामिल हैं, मेरी तिश्नगी यही है कि तू ही बस मेरे हर पल में रहें, निकल इस तिगरी से चल सातवें आसमान पर जाकर रहे, अंजुमन में जो परलोक की अप्सराएँ हैं मान उन्हें साक्षी इस प्यार का ऐलान करें, हे! सुंदरियों हम आपके इस ज़र्रानवाज़ी के शुक्रगुजार हैं, आप के सौंदर्य से इस महफ़िल में लग रहें चाँद और सितार हैं, न कोई अफसोस न कोई अफसुर्द रहे, बस इस फ़क़त जिंदगी में तुम ही बस तुम मेरे ही रहे, तू ही हैं एक तू ही जो मेरे रहबर-ए-कामिल, चल तेरे संग अब मैं तुझमें ही हो जाऊं कहिं शामिल, ऐ मेरे मेहर-ओ-आँब तेरे संग जाना सातवें आसमान पर , मिल जाये वक्त दो वक़्त की खुशियां जैसे खूबसूरत जहां पर, कर मुक्कमल मेरा इश्क इतनी सी आरजू हैं, ये मामूली सी जिंदगानी आज मैं ये तुझ पर वार दूँ, बस तू ही मेरा हमनवां तू मेरा हमनशीं हैं, देखूं जो मैं कहीं भी बस तू ही तू वहिं हैं। कामिल:-पूरा,सब गुफ़्फ़तगु:-बातचीत तिश्नगी:-इच्छा तिगरी:-अँधेरा अंजुमन:-सम्मेलन,सभा ज़र्रानवाज़ी:-किसी छोटी सी चीज़ का सम्मान अफसुर्द-गम,विषाद फ़क़त:-सूक्ष्म