"मन चाहता है" मन पंछी बन उड़ना चाहता है दूर ऊँचे आकाश में सतरंगी सपने बुनना चाहता है दूर कहीं एकांत में...! मन सब निराशा और दुःख भूलना चाहता है 'प्रेम-कुटीर' बनाना चाहता है दूर कहीं क्षितिज में...! मन मधुर स्वप्न देखना चाहता है गहन रात में स्वप्नों को जीना चाहता है दूर कहीं एकांत में...! मन खिलखिलाना चाहता है किसी के साथ में हँसते जिंदगी गुज़ारना चाहता है 'उसके' पास में...! मन किसी को अपना 'हमराज' बनाना चाहता है 'सफर-ए-ज़िंदगी' चाहता है उस 'हमसफर' के साथ में..! 🌹 "मन चाहता है" मन पंछी बन उड़ना चाहता है दूर ऊँचे आकाश में सतरंगी सपने बुनना चाहता है दूर कहीं एकांत में...! मन सब निराशा और दुःख भूलना चाहता है 'प्रेम-कुटीर' बनाना चाहता है कहीं दूर क्षितिज में...!