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Sea water रचना दिनांक,,,३,,,२,,,,२०२४,,, वार,,,, श

Sea water रचना दिनांक,,,३,,,२,,,,२०२४,,,
वार,,,, शनिवार
समय,,,, सुबह चार बजे,,,
््््््
्््््निज विचार ्््््
्््छाया चित्र में भावचित्र प्रेम गगन में 
श्याम वर्ण और वेश भूषा में 
अमिटं रुप रंगीला बसंत पीत वस्त्र में्््

 मुरली मनोहर कृष्ण कन्हैया लाल देवकी नंदन 
जीव दया की मनमोहनी रुप छटा में चंद्रकिरणें से,,
राधा में अनुराग प्रेम का श्रंगार रस है रास रंग में
अवध बिहारी हो या फिर कृष्ण बिहारी का जाने ।।
बाल स्वरूप में भोला शंकर साकार लोक में 
भ़मण करतीअदश्य रुप में क्या मथुरा काशी अवध में ,,
बन गयो मदारी बनकर दिलों मेंनटलीला जादूगर बनकर।।
डमरू बाजे बजने लगे गली गली में चौक चौराहों पर
 खैल खलौणा से मजमा लगायो ठुमक ठुमक चलत 
रामचंद्र जी और पग पैजनियां चले देखण खैला नर रुप में।।
 भोलाबम लहरी णे आवाज लगाई जेहण में दौड़ भागने लगे,,
रहवासी देखण लागे नैन नक्श मुंखपरचंदआभामण्डल से।।
ज्ञान रस का श्रंगार जादू छडी से राम कृष्ण में त्रैता और व्दापर में,,
एक टेम में दूई नजारा फैकी ऐसी विश्वमोहिनी
 एक संग में दो युग का जादू कर लोगों को दिखाया।।
मन मंद मुस्कान लेकर राम रुप लेकर फिर कृष्ण दर्शन की
भोलाशिव शंकर साकार लोक में
,ऐसों खैल का नजारा देखने से मची चकाचौंध में,, 
लुप्त हुई घटनाओं का क्षण क्षणिका में महज़ एक मजमा दोयुग का बात बात में ।।
आंखें डालकर हुआ संवाद नरलीला का समेट लिया,,
 जादू गर भोलाशंकर णे चलते समय इधर उधर देखने लगा ।।
रामचंद्र जी और शिवशंकर अन्नधान का श्रंगार रस में 
शहद मिलाकर पीने लगे दूश्मन की नज़र ना लगे ।।
झाडनी उतारी रघुनंदन की का समझे जाने मेरा तेरा,,
 मनन आनंद शैलेंद्र का श्रंगार रचु इस जग में उस जुग का।।
््््निजविचार ््््
भावचित्र खिंचती है मन दर्पण प्रेम शब्द का सच्चा पूजारी है
 जीवन का कमंयोग आंनद है ्््शैलेन्द़ आनंद ्््

््््३,, फरवरी,,,,२०२४




में द्वारिका संजी संवरी में एक बार घर घर आंगन में

©Shailendra Anand #Seawater रामचंद्र जी और अवध बिहारी व्दारिका में एक संग दूई युग का जादूगर भोलाशंकर मदारी बनकर दिलों में खैला मचाया अवध बिहारी मथुरा में आनंद भयो जगवन्दन सुनन्दन में ््््
Sea water रचना दिनांक,,,३,,,२,,,,२०२४,,,
वार,,,, शनिवार
समय,,,, सुबह चार बजे,,,
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्््््निज विचार ्््््
्््छाया चित्र में भावचित्र प्रेम गगन में 
श्याम वर्ण और वेश भूषा में 
अमिटं रुप रंगीला बसंत पीत वस्त्र में्््

 मुरली मनोहर कृष्ण कन्हैया लाल देवकी नंदन 
जीव दया की मनमोहनी रुप छटा में चंद्रकिरणें से,,
राधा में अनुराग प्रेम का श्रंगार रस है रास रंग में
अवध बिहारी हो या फिर कृष्ण बिहारी का जाने ।।
बाल स्वरूप में भोला शंकर साकार लोक में 
भ़मण करतीअदश्य रुप में क्या मथुरा काशी अवध में ,,
बन गयो मदारी बनकर दिलों मेंनटलीला जादूगर बनकर।।
डमरू बाजे बजने लगे गली गली में चौक चौराहों पर
 खैल खलौणा से मजमा लगायो ठुमक ठुमक चलत 
रामचंद्र जी और पग पैजनियां चले देखण खैला नर रुप में।।
 भोलाबम लहरी णे आवाज लगाई जेहण में दौड़ भागने लगे,,
रहवासी देखण लागे नैन नक्श मुंखपरचंदआभामण्डल से।।
ज्ञान रस का श्रंगार जादू छडी से राम कृष्ण में त्रैता और व्दापर में,,
एक टेम में दूई नजारा फैकी ऐसी विश्वमोहिनी
 एक संग में दो युग का जादू कर लोगों को दिखाया।।
मन मंद मुस्कान लेकर राम रुप लेकर फिर कृष्ण दर्शन की
भोलाशिव शंकर साकार लोक में
,ऐसों खैल का नजारा देखने से मची चकाचौंध में,, 
लुप्त हुई घटनाओं का क्षण क्षणिका में महज़ एक मजमा दोयुग का बात बात में ।।
आंखें डालकर हुआ संवाद नरलीला का समेट लिया,,
 जादू गर भोलाशंकर णे चलते समय इधर उधर देखने लगा ।।
रामचंद्र जी और शिवशंकर अन्नधान का श्रंगार रस में 
शहद मिलाकर पीने लगे दूश्मन की नज़र ना लगे ।।
झाडनी उतारी रघुनंदन की का समझे जाने मेरा तेरा,,
 मनन आनंद शैलेंद्र का श्रंगार रचु इस जग में उस जुग का।।
््््निजविचार ््््
भावचित्र खिंचती है मन दर्पण प्रेम शब्द का सच्चा पूजारी है
 जीवन का कमंयोग आंनद है ्््शैलेन्द़ आनंद ्््

््््३,, फरवरी,,,,२०२४




में द्वारिका संजी संवरी में एक बार घर घर आंगन में

©Shailendra Anand #Seawater रामचंद्र जी और अवध बिहारी व्दारिका में एक संग दूई युग का जादूगर भोलाशंकर मदारी बनकर दिलों में खैला मचाया अवध बिहारी मथुरा में आनंद भयो जगवन्दन सुनन्दन में ््््

#Seawater रामचंद्र जी और अवध बिहारी व्दारिका में एक संग दूई युग का जादूगर भोलाशंकर मदारी बनकर दिलों में खैला मचाया अवध बिहारी मथुरा में आनंद भयो जगवन्दन सुनन्दन में ्््् #पौराणिककथा