Nojoto: Largest Storytelling Platform

वक्त आज इतना बदल चुका है, कि कोई अपना है ही नहीं

वक्त आज इतना बदल चुका है,
 कि कोई अपना है ही नहीं इस ज़माने में।
हर रिश्ते से डर लगता है,
कि कब ज़हर उगल दे जो मौजूद है देह के पैमाने में।
चेहरे सबके मासूम है, लबो पर मुस्कान और बातो में मिठास है।
पर दिल में हर एक के बस एक मौके कि तलाश है।
एक मौके कि तलाश है।

©Anubhav Sharma बदलता वक्त

#leaf
वक्त आज इतना बदल चुका है,
 कि कोई अपना है ही नहीं इस ज़माने में।
हर रिश्ते से डर लगता है,
कि कब ज़हर उगल दे जो मौजूद है देह के पैमाने में।
चेहरे सबके मासूम है, लबो पर मुस्कान और बातो में मिठास है।
पर दिल में हर एक के बस एक मौके कि तलाश है।
एक मौके कि तलाश है।

©Anubhav Sharma बदलता वक्त

#leaf