वक्त आज इतना बदल चुका है, कि कोई अपना है ही नहीं इस ज़माने में। हर रिश्ते से डर लगता है, कि कब ज़हर उगल दे जो मौजूद है देह के पैमाने में। चेहरे सबके मासूम है, लबो पर मुस्कान और बातो में मिठास है। पर दिल में हर एक के बस एक मौके कि तलाश है। एक मौके कि तलाश है। ©Anubhav Sharma बदलता वक्त #leaf