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दर-ब-दर ठोकरें खाईं तो ये मालूम हुआ घर किसे कहते

दर-ब-दर ठोकरें खाईं तो ये मालूम हुआ 
घर किसे कहते हैं क्या चीज़ है बे-घर होना

©हरिओम सुल्तानपुरी
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