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मैं भी आज़ाद होना चाहती हूँ हर बंदिशों को तोड़ना च

मैं भी आज़ाद होना चाहती हूँ
हर बंदिशों को तोड़ना चाहती हूँ
नहीं आता खुद से बाते करना
मगर अब खुद से हर बात कहना चाहती हूँ
दूर लगे मंजिल जो कभी 
उसे सुर्ख़-रू के साथ पाना चाहती हूँ
घुट घुट कर रोना सिखाया सबने 
मगर अब खुलकर हँसना चाहती हूँ

©writer....Nishu...
  #मैं चाहती हूँ ❤❤

#मैं चाहती हूँ ❤❤

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