मैं ग़रीब हूँ तो क्या मुझमें जान नहीं? ख़ाली है मेरा दिल कोई अरमान नहीं? बस इसीलिए कोई शिक़ायत नहीं थी की मेरी सबको ख़बर है कोई अंजान नहीं| कोई क्यों मदद को आए भला क्यों इम्दाद करे तमाशाईं हैं यहाँ सब रहता कोई इंसान नहीं|