White #जिंदगी का ये खेल निराला.... शब्बभेदी किशोर ना चल रही हैं और न ठहर रहीं हैं जिंदगी एक अजीब दौर से गुज़र रहीं हैं जिंदगी सब कुछ होकर भी हमेशा हमें होतीं हैं तलाश इक प्यारभरे सुकून की हर जख़्म हर नासुर को भर रहीं हैं जिंदगी हम कल क्या थे और क्या आज हो गये देखकर हालात खुद के खूद से ही डर रहीं हैं जिंदगी किश्तों से ढक गई कुछ सपनों की उड़ाने आसमाँ से फिर जमी पे उतर रही है जिंदगी क्यों करते हो तुम वसूलों की बात सांसो से हर रोज सौदा कर रही है जिंदगी ©शब्दवेडा किशोर #जिंदगी_का_सफर