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मुश्त- ए- ख़ाक ही होना है आखिरकार हमें ये तो बस सप

मुश्त- ए- ख़ाक ही होना है आखिरकार हमें
ये तो बस सपनें हैं जो ज़िंदा हैं
अपनी खुब्त छिपाने को ज़माना हुआ करे शर्मिंदा
हम तो साहब,बेकरारी के बासिंदा हैं
✍️निरूपा कुमारी

©Nirupa Kumari
  #bekarari