"ख़ुद को परखना न कभी इन निगाहों से," "हम जो चमके तो सूरज को भी जलाएंगे।" "इतने हल्के मत लो हमें," "हम जो गिरे तो हवा निकल जाएगी।" "सहते-सहते अब आदत सी है," "पर जो बरसे तो सज़ा निकल जाएगी।" "आँधियों से कहो ज़ोर आज़मा लें," "हम जो उठे तो दिशा बदल जाएगी।" "शेर हैं, सिर्फ़ ख़ामोश बैठे हुए," "गर दहाड़े तो सदा गूंज जाएगी।" "गिर पड़े तो भी उठा देंगे ख़ुद को," "हम सहारे के नहीं, हौसले हैं हम।" "भीख में मिलती नहीं रोशनी हमको," "अपनी मेहनत के चिराग़ों से जले हैं हम।" "सर झुकाना हमें आया नहीं अब तक," "सिर्फ़ सच के ही तक़ाज़ों पे झुके हैं हम।" "छीन ले वक़्त अगर रोटियाँ हाथों से," "अपने लहू से भी पेट भर लेंगे हम।" "जो भी आया हमें आज़माने यहाँ," "देखते ही देखता रह गया है हमको।" "अब भी ख़ामोश हैं तो सब्र का तक़ाज़ा है," "वरना हर वार की गूँज गगन तक जाएगी।" "'नवनीत' धूप में तपकर भी खड़े हैं," "छाँव बेचेंगे नहीं, दरख़्त हैं हम।" ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर