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विधा :-सायली छन्द // विषय :- पंछी पंछी जैसे वह उड़

विधा :-सायली छन्द // विषय :- पंछी

पंछी
जैसे वह
उड़ जाते हैं 
लौट नहीं 
पाते ।

जब
बन जाते 
हैं परदेशी बेटे 
उम्र ढ़ले
आते ।

क्या 
खाया पहना 
सोया जागा सब
वह कहाँ
बताते ।

जो
बनाया था
देखो उसने घर
कब रहने 
आते ।

पंछी
जैसा जीवन
है अब उनका
सुबह शाम
आते ।।

०२/०३/२०२४      -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा :-सायली छन्द // विषय :- पंछी

पंछी
जैसे वह
उड़ जाते हैं 
लौट नहीं 
पाते ।
विधा :-सायली छन्द // विषय :- पंछी

पंछी
जैसे वह
उड़ जाते हैं 
लौट नहीं 
पाते ।

जब
बन जाते 
हैं परदेशी बेटे 
उम्र ढ़ले
आते ।

क्या 
खाया पहना 
सोया जागा सब
वह कहाँ
बताते ।

जो
बनाया था
देखो उसने घर
कब रहने 
आते ।

पंछी
जैसा जीवन
है अब उनका
सुबह शाम
आते ।।

०२/०३/२०२४      -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा :-सायली छन्द // विषय :- पंछी

पंछी
जैसे वह
उड़ जाते हैं 
लौट नहीं 
पाते ।

विधा :-सायली छन्द // विषय :- पंछी पंछी जैसे वह उड़ जाते हैं लौट नहीं पाते । #कविता