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गैरों से वाकई अलहदा हो तुम । सच कहूं मेरे वास्ते द

गैरों से वाकई अलहदा हो तुम । सच कहूं मेरे वास्ते दुआ हो तुम । है नेमत उस फरिश्ते की मिली जो आपकी सोहबत , कोई पूछे जरा मुझसे मेरी जहां हो तुम ।न कोई नाम रिश्ते का न वाकिफ हैं कहीं से हम , नजर तलाशती क्यूं है कहां हो तुम?    [ एक अनजान पर प्यारी बहन के सम्मान में ।  thanks nozoto for give me a sister]

©Ravi Ranjan Kumar Kausik
  #l अंजान मसीहा

#L अंजान मसीहा #शायरी

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