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कल जहाँ जुल्म ने काटी थीं सरों की फसलें नम हुई है

कल जहाँ जुल्म ने काटी थीं सरों की फसलें
नम हुई है तो उसी ख़ाकसे लश्‍कर निकला

ख़ुश्‍क आँखों से उठी मौज तो दुनिया डूबी
हम जिसे समझे थे सहरा वो समंदर निकला

©sunil kumar कल जहाँ जुल्म ने काटी थीं सरों की फसलें
नम हुई है तो उसी ख़ाकसे लश्‍कर निकला

ख़ुश्‍क आँखों से उठी मौज तो दुनिया डूबी
हम जिसे समझे थे सहरा वो समंदर निकला

#Love
कल जहाँ जुल्म ने काटी थीं सरों की फसलें
नम हुई है तो उसी ख़ाकसे लश्‍कर निकला

ख़ुश्‍क आँखों से उठी मौज तो दुनिया डूबी
हम जिसे समझे थे सहरा वो समंदर निकला

©sunil kumar कल जहाँ जुल्म ने काटी थीं सरों की फसलें
नम हुई है तो उसी ख़ाकसे लश्‍कर निकला

ख़ुश्‍क आँखों से उठी मौज तो दुनिया डूबी
हम जिसे समझे थे सहरा वो समंदर निकला

#Love

कल जहाँ जुल्म ने काटी थीं सरों की फसलें नम हुई है तो उसी ख़ाकसे लश्‍कर निकला ख़ुश्‍क आँखों से उठी मौज तो दुनिया डूबी हम जिसे समझे थे सहरा वो समंदर निकला #Love #शायरी