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एक बार प्रण कर लिया जो धारण, हर मुश्किल हो फिर बस

एक बार प्रण कर लिया जो धारण,
हर मुश्किल हो फिर बस साधारण।
फूंक दो जुनून में वो जान,
हर राह बने खुद-ब-खुद आसान।

©नवनीत ठाकुर एक बार प्रण कर लिया जो धारण,
हर मुश्किल हो फिर बस साधारण।
फूंक दो जुनून में वो जान,
हर राह बने खुद-ब-खुद आसान।
एक बार प्रण कर लिया जो धारण,
हर मुश्किल हो फिर बस साधारण।
फूंक दो जुनून में वो जान,
हर राह बने खुद-ब-खुद आसान।

©नवनीत ठाकुर एक बार प्रण कर लिया जो धारण,
हर मुश्किल हो फिर बस साधारण।
फूंक दो जुनून में वो जान,
हर राह बने खुद-ब-खुद आसान।