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मुझे दे रहे हैं तसल्लियाँ उल्फ़त के किसी नाम से,

मुझे दे रहे हैं तसल्लियाँ उल्फ़त के किसी नाम से, 
आ कभी मन्ज़र-ए-आम पर वफ़ा के अंजाम से। 
(मन्ज़र-ए-आम = सार्वजनिक प्रदर्शन, उल्फ़त- मोहब्बत)

न ग़रज़ न वास्ता फ़िर भी सवाल मुहब्बत से क्या, 
तेरे ज़िक्र से, तेरी फ़िक्र से बैठा है जवाब शाम से। 

मेरे माज़ी कर न राह-ए-वफ़ा मै ख़ुशी की तलाश, 
तू पिला इसी चश्म-ए-जाम से के चले हर गाम से। 
(मर्हबा = बहुत ख़ूब,शाबाश), (चश्म-ए-जाम =नशीली आंखें)

तेरी फ़लक पर रोना नसीब में है औरों क्या गिला, 
कभी कर ले आ के मुक़ाबला के फ़कत शाम से। 
(फ़लक = आसमान), (फ़कत=बस इतना ही)

©Rashmi Ranjan Rath #nojotonazm #nojotohindi 
#Anger
मुझे दे रहे हैं तसल्लियाँ उल्फ़त के किसी नाम से, 
आ कभी मन्ज़र-ए-आम पर वफ़ा के अंजाम से। 
(मन्ज़र-ए-आम = सार्वजनिक प्रदर्शन, उल्फ़त- मोहब्बत)

न ग़रज़ न वास्ता फ़िर भी सवाल मुहब्बत से क्या, 
तेरे ज़िक्र से, तेरी फ़िक्र से बैठा है जवाब शाम से। 

मेरे माज़ी कर न राह-ए-वफ़ा मै ख़ुशी की तलाश, 
तू पिला इसी चश्म-ए-जाम से के चले हर गाम से। 
(मर्हबा = बहुत ख़ूब,शाबाश), (चश्म-ए-जाम =नशीली आंखें)

तेरी फ़लक पर रोना नसीब में है औरों क्या गिला, 
कभी कर ले आ के मुक़ाबला के फ़कत शाम से। 
(फ़लक = आसमान), (फ़कत=बस इतना ही)

©Rashmi Ranjan Rath #nojotonazm #nojotohindi 
#Anger