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अपनी उम्मीदो को वो यू जगा के बैठा था दो बेटी के

  अपनी उम्मीदो को वो यू जगा के बैठा था 
दो बेटी के बाद वो बेटे की आस लगाए बैठा था।

डर नही था उसे वो अपनी नन्ही परी को कैसे बड़ा करेगा
डर था उसे वो कैसे देहज भिक्षु का मुंह बंद करेगा।

भगवान को कुछ और ही मंजूर था 
किस्मत से उसके घर फिर बेटी का जन्म हुआ था।
  अपनी उम्मीदो को वो यू जगा के बैठा था 
दो बेटी के बाद वो बेटे की आस लगाए बैठा था।

डर नही था उसे वो अपनी नन्ही परी को कैसे बड़ा करेगा
डर था उसे वो कैसे देहज भिक्षु का मुंह बंद करेगा।

भगवान को कुछ और ही मंजूर था 
किस्मत से उसके घर फिर बेटी का जन्म हुआ था।

अपनी उम्मीदो को वो यू जगा के बैठा था दो बेटी के बाद वो बेटे की आस लगाए बैठा था। डर नही था उसे वो अपनी नन्ही परी को कैसे बड़ा करेगा डर था उसे वो कैसे देहज भिक्षु का मुंह बंद करेगा। भगवान को कुछ और ही मंजूर था किस्मत से उसके घर फिर बेटी का जन्म हुआ था। #Quotes #story #Hindi #poem #writer #kalakash #TST #writerbhadana