मुर्दों में भी मैं जान फूंक दूं 6969696969696969 मुर्दों में भी मैं जान फूंक दूं, अगर तुम्हारे जैसा दोस्त कोई मिल जाए तो। आतंक किस जानवर का नाम है, उसके सीने में मैं किल ठोक दूं, अगर तुम्हारे जैसा दोस्त कोई मिल जाए तो। जिस जज्बात में तुम बह जाते हो, उस जज्बात को मैं तुमसे अलग कर दूं, अगर तुम्हारे जैसा दोस्त कोई मिल जाए तो। तुम मुकद्दर हो धरती के, तुम्हारा भविष्य का कातिल नंगा नाच रहा है, उसके पांवों में मैं बेड़ियां जड़ दूं, अगर तुम्हारे जैसा दोस्त कोई मिल जाए तो। वक्त वही पुराना है, कल भी मुर्दे जिंदा मचल रहे थे, आज भी मचल रहे हैं, मुर्दों में भी मैं जान फूंक दूं, अगर तुम्हारे जैसा दोस्त कोई मिल जाए तो।। 000000000000000000000 प्रमोद मालाकार कि कलम से 31.10.23 ©pramod malakar #मुर्दों में भी मैं जान फूंक दूं