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बिन लड़े ही हार कैसे मान लूँ, ज़िन्दगी तुमको

बिन  लड़े  ही  हार  कैसे  मान लूँ, 
ज़िन्दगी तुमको तो पहले जान लूँ,

हर  कोई  बैठा  लगा  कर घात है, 
क्यों किसी का बेवज़ह एहसान लूँ,

दे  सकूँ   संसार  को  मैं  श्रेष्ठतम, 
प्यार में क्योंकर भला प्रतिदान लूँ,

भीड़  में  खोए हुए  चेहरों के बीच, 
जो हैं अपने उनको तो पहचान लूँ,

धूप  के  डर  से  रुके ना काफ़िला,
चल  पड़ा  हाथों  में छतरी तान लूँ,

बढ़ चले दो कदम मंज़िल की तरफ, 
क्यों  भला  भटके  हुए  से  ज्ञान लूँ,

तम मिटे अज्ञानता का तभी 'गुंजन',
सद्गुरु   से   राजविद्या   दान    लूँ,
    --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #पहले जान लूँ#
बिन  लड़े  ही  हार  कैसे  मान लूँ, 
ज़िन्दगी तुमको तो पहले जान लूँ,

हर  कोई  बैठा  लगा  कर घात है, 
क्यों किसी का बेवज़ह एहसान लूँ,

दे  सकूँ   संसार  को  मैं  श्रेष्ठतम, 
प्यार में क्योंकर भला प्रतिदान लूँ,

भीड़  में  खोए हुए  चेहरों के बीच, 
जो हैं अपने उनको तो पहचान लूँ,

धूप  के  डर  से  रुके ना काफ़िला,
चल  पड़ा  हाथों  में छतरी तान लूँ,

बढ़ चले दो कदम मंज़िल की तरफ, 
क्यों  भला  भटके  हुए  से  ज्ञान लूँ,

तम मिटे अज्ञानता का तभी 'गुंजन',
सद्गुरु   से   राजविद्या   दान    लूँ,
    --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #पहले जान लूँ#