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रचना दिनांक २२,,,,११,,,२०२३,, वार ््बुधवार ्् समय

रचना दिनांक २२,,,,११,,,२०२३,,
वार ््बुधवार ््
समय सुबह दस बजे
्््शीर्षक भावना से मन का नशा तन का नशा,,््
 नशा जो भी हो धन संपत्ति अभिमान का नशा।।
स्वाभिमान का नशा जब चोट लगती है दिल पर,,
,,मानो तब सुध बुध खो कर नशा मद मस्त अनुभूति
 मस्तिष्क पर गहरा असर डालती है वो भूल जाते है।।
््््
 इन्सानी तहजीब मगरुर होती तन्हाइयों में वो लफ्जो का नशा,,
धर्म का नशा किसी भी हद तक ताबूत में आखिरी कील से
अंतिम सांस तक ताबूत में आखिरी बार प्राण वायु को
 ध्यानस्त प्रेयर करने वाले अच्छे ख्यालात मोक्ष कारक 
साधना प्रकृति से प्रेम करने वाले अच्छे ख्यालात रहे।।
जीवन फूलों से भी सूक्ष्म महीन चूर्ण के भांति निखरकर उभरकर
सामने सागर की लहरें उन्मुक्त रोम रोम में विराजित है।।
नारीशक्ति मे रचता बसता है,,  प्रेम मूर्ति प्रतिष्ठिता त्वमं भिक्षादेही नारायणं
वामन अवतार विप्र वार्ता महाकुंभ कलशं शुक्राचार्य दैत्य गुरु राजा बलि
संवाद प्राण पण धर्मरक्षक असूरेन्द़ नारायण देव कारज सो कर्म भूमि वर्चस्व छल कपट प्रपंच तीन पग दानभुमि वैकुंठ नाथ परमेश्वरं जनहितं राज्यसुखमं कर्म धर्म विचारणीयमं ज्ञान दर्शन मार्गदर्शन मद अंहकार शमन नाशकं मानव धर्म सर्वोपरि रक्षकं।।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद
२२नवमबर२०२३




 शुक्राचार्य राजाबली संवादप्राण पण
महादानी असूरराज

©Shailendra Anand #ChainSmoking मदनशा अंहकार बोलता है और मुमकिन है दानकीमहत्ता और विषयासक्त आसक्तं नशा मानवदेह विष औरअमृत जीवन महत्व कारकं।।््शैलेन्द़ आनंद ््््
रचना दिनांक २२,,,,११,,,२०२३,,
वार ््बुधवार ््
समय सुबह दस बजे
्््शीर्षक भावना से मन का नशा तन का नशा,,््
 नशा जो भी हो धन संपत्ति अभिमान का नशा।।
स्वाभिमान का नशा जब चोट लगती है दिल पर,,
,,मानो तब सुध बुध खो कर नशा मद मस्त अनुभूति
 मस्तिष्क पर गहरा असर डालती है वो भूल जाते है।।
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 इन्सानी तहजीब मगरुर होती तन्हाइयों में वो लफ्जो का नशा,,
धर्म का नशा किसी भी हद तक ताबूत में आखिरी कील से
अंतिम सांस तक ताबूत में आखिरी बार प्राण वायु को
 ध्यानस्त प्रेयर करने वाले अच्छे ख्यालात मोक्ष कारक 
साधना प्रकृति से प्रेम करने वाले अच्छे ख्यालात रहे।।
जीवन फूलों से भी सूक्ष्म महीन चूर्ण के भांति निखरकर उभरकर
सामने सागर की लहरें उन्मुक्त रोम रोम में विराजित है।।
नारीशक्ति मे रचता बसता है,,  प्रेम मूर्ति प्रतिष्ठिता त्वमं भिक्षादेही नारायणं
वामन अवतार विप्र वार्ता महाकुंभ कलशं शुक्राचार्य दैत्य गुरु राजा बलि
संवाद प्राण पण धर्मरक्षक असूरेन्द़ नारायण देव कारज सो कर्म भूमि वर्चस्व छल कपट प्रपंच तीन पग दानभुमि वैकुंठ नाथ परमेश्वरं जनहितं राज्यसुखमं कर्म धर्म विचारणीयमं ज्ञान दर्शन मार्गदर्शन मद अंहकार शमन नाशकं मानव धर्म सर्वोपरि रक्षकं।।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद
२२नवमबर२०२३




 शुक्राचार्य राजाबली संवादप्राण पण
महादानी असूरराज

©Shailendra Anand #ChainSmoking मदनशा अंहकार बोलता है और मुमकिन है दानकीमहत्ता और विषयासक्त आसक्तं नशा मानवदेह विष औरअमृत जीवन महत्व कारकं।।््शैलेन्द़ आनंद ््््

#ChainSmoking मदनशा अंहकार बोलता है और मुमकिन है दानकीमहत्ता और विषयासक्त आसक्तं नशा मानवदेह विष औरअमृत जीवन महत्व कारकं।।््शैलेन्द़ आनंद ्््् #पौराणिककथा