वो दिखती फूलों सी कोमल सदा महकती, सदा चहकती, भीनी भीनी सुगंध बिखेरती। ना जने कब उन मलिन हाथों ने तोड़ा उसे बेरहमी से, तोड़ दिया कोमल पंखुड़ियों को । मार दिया उसके सपनों को। चाहकर भी वह खिल ना पाई, ना अपनी खिलती मुस्कान ला पाई। जग ने उसे बेकार समझकर फेंक दिया था कूड़े में, फिर भी वह तो अपनी सुगन्ध से, मिल पाई अपने अस्तित्व से।। ✍️आरती #कली का अस्तित्व#औरत का अस्तित्व